Thursday, March 17, 2011

एक वादा

काश उसने अपना कोई वादा निभाया तो होता
अपनी आखो को कभी रुलाया तो होता |
मिट जाते गिले शिकवे उनके भी हमारे दिल से
कभी अपना सिर इस कांधे पर झुकाया तो हॉट||

उनकी सासों में भी हमारी कुछ कशिश रही होगी
लबो पे नाम ना हो पर दिल में कोई दुआ तो होगी |
जमाने को छोड़ के मिलने आते उनसे
अपना सही पता तो हमसे बताया होता ||

मीलो तक चले साथ उनके पर कोई उनसे बात नही थी
जब जुदा हुए उनके दिल से आखो में ये कैसी नमी थी
कह दिया ज़िदगी का सफ़र अकेले चलना होगा
पहले अकेले चलना सिखाया तो होता ||


उनकी नजरो ने, हमारी नजरो का नज़रिया बदल दिया
उनके चेहरे ने , इस चाँद का तारा बना दिया |
अब पीते है इन आखो में कुछ नशा लाने के लिए
अपने आखो से इन आखो को कुछ पिलाया तो होता ||



अतुल शर्मा

Tuesday, March 15, 2011

My blind Love

हो गये फासले उनके चले जाने से
अब सोचते है जिंदगी ऊ ही गुजारले ||
चाहत थी ही नही उनके ज़ज्बात में
अपने बीते लम्हों को खुद ही पुकार ले ||



था खवाब इन आखो में एक आशियाने का
साथ हो तेरा न हो इस ज़माने का ||
अब टूटते नही तारे तेरे मुस्कराने से
काली रात में इस चाँद को खुद ही निकल ले||


ख्वाहिस थी तेरे प्यार में एक बार मरने की
तुने मर के इन आखो को रोने भी ना दिया||
आसू गिरते है ज़मीं पर मिलने की चाहत में
तेरी तस्वीर को इन अखो से अब तो निकल ले ||




कवी
अतुल शर्मा