Tuesday, March 15, 2011

My blind Love

हो गये फासले उनके चले जाने से
अब सोचते है जिंदगी ऊ ही गुजारले ||
चाहत थी ही नही उनके ज़ज्बात में
अपने बीते लम्हों को खुद ही पुकार ले ||



था खवाब इन आखो में एक आशियाने का
साथ हो तेरा न हो इस ज़माने का ||
अब टूटते नही तारे तेरे मुस्कराने से
काली रात में इस चाँद को खुद ही निकल ले||


ख्वाहिस थी तेरे प्यार में एक बार मरने की
तुने मर के इन आखो को रोने भी ना दिया||
आसू गिरते है ज़मीं पर मिलने की चाहत में
तेरी तस्वीर को इन अखो से अब तो निकल ले ||




कवी
अतुल शर्मा

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